भारत का पहला चुनाव : राजनीति का उद्घाटन, Unveiling the Greatest Historic Event

1. परिचय : भारत का पहला चुनाव

भारत विश्व का एक ऐसा देश है जो सबसे बड़े देशों की सूची में आता है। लोकतंत्र का सबसे बड़ा घर ,अलग-अलग संस्कृति, विचार,अचार, और वेशभूषा का देश है। कहानी है उस भारत की जहां पर एक वक्त था जब पूरा देश भुखमरी, अंध श्रद्धा , जातिवाद और समाजवाद का शिकार हो रहा था । अंग्रेज देश छोड़कर चले गए थे और इस देश को दो हिस्सों में बांट कर धर्मवाद फैला दिया था। अब इस देश को जरूरत थी एक प्रबल ,मजबूत, निर्भयी व्यक्ति की जो देश की स्थिति को एक नया रूप दे, नये साचे में डालकर निर्माण करें। और उस वक्त जरूरत थी एक कानून की जो कानून लोगों ने बनाया हो लोगों के लिए। उसी वक्त स्वतंत्रता संग्राम के सभी प्रमुख नेताओं ने मिलकर इसकी शुरुआत की और डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर की अध्यक्षता में बनकर तैयार हुआ स्वतंत्र भारत का संविधान। स्वतंत्र भारत का कानून जो हर भारतीय को भारत में एक नागरिक बनाने में और गरिमा पूर्ण जीवन का सार है । २६ जानेवारी १९५० से पूरे भारत में चलने लगा विधि का शासन यानि भारत में अब कोई व्यक्ति राजा नहीं कोई रंक नहीं सब एक है और सब के उपर सिर्फ विधि है। इसी भारत का शासन चलाने के लिए जरूरत थी कुछ राज्य करता कि जो शासन चलाये। लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग चुनाव और भारत का पहला चुनाव शुरू हुआ २५ अक्टूबर १९५१ को और एक नये भारत का सिलसिला चालू हुआ । जो भारत को नई ऊंचाई, नहीं मंजिल की ओर ले जाने वाला था । तो चलिए शुरू करते हैं इसी कहानी को “कहानी चुनाव की” क्या हुआ था इस चुनाव में ? किसकी बनी थी सरकार‌ ?

2. संक्षिप्त विवरण : भारत का पहला चुनाव

१९५१ में २५ अक्टूबर के दिन हिमाचल प्रदेश में चीनी ने पहला वोट डाला गया और यह चुनाव लगभग 4 महीने तक चल रहा था। इस चुनाव ने दुनिया के लोकतांत्रिक देश की कतार में पूरी भारत को खड़ा किया था। चुनाव में लगभग ४८९ सीटों के लिए 17 करोड़ 32 लाख १२ हजार ३४३ लोगों ने रजिस्टर किया था। और लगभग १०.५९ करोड़ लोगों ने वोट दिया था। उसमें से ८५% अशिक्षित वोटर को ध्यान में रखते हुए पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव चिन्ह की व्यवस्था की गई थी। तब हर पार्टी के लिए अलग-अलग बैलेट बॉक्स था। जिन पर चुनाव चिन्ह थे।लोहे की २.१२ करोड़ पेटियां बनाई गई थी और 62 करोड़ मतपत्र छापे गए थे। उस वक्त हर वोटर के पीछे 60 पैसे का खर्च आया था। वही खर्च 2019 के चुनाव में हर वोभटर के पीछे 72 रुपए तक लगा था।

पुराने कांग्रेसी नई पार्टी बनाकर कांग्रेस के खिलाफ उतर रहे थे तो वामपंथी सशस्त्र संग्राम छोड़कर लोकतंत्र में मत की ताकत के आगे झुक चले थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता कांग्रेस छोड़कर सोशलिस्ट पार्टी में जा चुके थे। वही श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से अलग होकर भारतीय जनसंघ की स्थापना कर ली थी । उस वक्त कुल ५३ पार्टीया मैदान‌ में थी ।

भारत का पहला चुनाव

3. चुनाव का नतीजा

भारत के पहले लोकसभा चुनाव के नतीजे जब सामने आए तो कांग्रेस ने कुल मतों में से ४५ फीसदी मत हासिल किए और पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने। ११७.३ करोड़ मतदाताओं में से करीब ४५ फीसदी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ३६४ सीटों से जीती। इस चुनाव में दो ही पार्टीया थी जाने १० के उपर सीटें मिली थीं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी। कम्युनिस्ट पार्टी को 16 सिटे तो सोशलिस्ट पार्टी को 12 सिटे मिली थी। भारतीय जनसंघ के खाते में ३ सीटें आई थी। बाकी सभी सिम छोटे-मोटे दल को मिली थी। कांग्रेस के बाद निर्दलियों ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थी। चुनाव में संविधान निर्माता डॉक्टर .बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को हर का सामना करना पड़ा था। उनकी अशिक्षित सीट बॉम्बे से कांग्रेस के नारायण काजरोलकर जीत आए। तो यह होती स्वतंत्र भारत की पहली चुनाव की कहानी आशा करता हूं आपको पसंद आई होगी।

भारत का पहला चुनाव
भारत का पहला चुनाव : राजनीति का उद्घाटन

4. निष्कर्ष

364 सीट जीतकर कांग्रेस बनी थी सबसे बड़ी पार्टी। भारत का पहला चुनाव हमारे देश की लोकतांत्रिक संस्कृति की शुरुआत है। इस चुनाव ने जनता को राजनीति में योगदान देने का अवसर दिया। इस चुनाव ने देश के नागरिकों को स्वतंत्रता और लोकतंत्र के महत्व को समझने का अवसर दिया। चुनावों ने देश में जनमत की नींव रखी और लोगों की भागीदारी में सुधार किया, जिसने संविधानिक प्रक्रिया के विकास में बहुत योगदान दिया।

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